Monday 10 February 2020

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में प्रकृति बीमारियों का वर्गीकरण

Natural Types of Homeopathy Disease


प्राकृतिक बीमारियां नया वह पुरानी दो प्रकार की होती है । एक क्यूट बीमारियां जैसे चेचक है । जा आरती एक तूफान की तरह त्रिविता से क्रम में आती है तथा एक सीमित अवधि में या तो स्वयं समाप्त हो जाती है या फिर रोगी को ही समाप्त कर देती है । उनका विश्वास व पतन एक निश्चित कर्म व समय सीमा में ही होता है। परंतु सटीक औषधि से यह बीमारियां तुरंत ठीक की जा सकती है। इन बीमारियों के बाद आमतौर पर कोई बुरे प्रभाव नहीं रहते हैं।

क्रॉनिक बीमारी मयाज्मस के रूप में जानी जाती है। इन्हें हम सोरा साइकोसिस वाह  सिफलिस के नाम से जानते हैं। यह अकेले या एक दूसरे के साथ मिलकर सक्रिय हो सकते हैं। यह बीमारियां एक क्रम में ही विकास करती है। परंतु इनके सक्रिय होने के बाद उनके बुरे असर चलते रहते हैं। जोकि धीरे-धीरे जीवनी शक्ति को अत्यधिक और असंतुलित बना देते हैं। यदि हम इन बीमारियों को गलत औषधियों से दबा दें जाएं गलत खाना-पीना ले कुसंगति के शिकार बने तो इनका विकृत कर्म जो एक कर्म में था कर्म से क्रम भंग में परिवर्तित होता चला जाता है। यह बीमारियां वंशानुगत है।

एकक्यूट व क्रॉनिक बीमारियों को एक्युट व क्रोनिक मयाज्मस के किया नाम से भी जाना जाता है। किन का गहन अध्ययन हर होम्योपैथिक डॉक्टर के लिए आवश्यक है।

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