होम्योपैथी का प्रारंभ जर्मनी के एक मशहूर डॉक्टर हैनीमैन ने किया था।
विद्वान डॉक्टर हैनीमैन का जन्म यूरोप के देश जर्मनी के निवासी थे। आपके पिता जी एक पोर्सिलीन पेन्टर थे और आपने अपना बचपन अभावों और बहुत गरीबी में बिताया था। एम0डी0 डिग्री प्राप्त एलोपैथी चिकित्सा विज्ञान के ज्ञाता थे। डॉ॰ हैनिमैन, एलोपैथी के चिकित्सक होनें के साथ साथ कई यूरोपियन भाषाओं के ज्ञाता थे। वे केमिस्ट्री और रसायन विज्ञान के निष्णात थे। जीवकोपार्जन के लिये चिकित्सा और रसायन विज्ञान का कार्य करनें के साथ साथ वे अंग्रेजी भाषा के ग्रंथों का अनुवाद जर्मन और अन्य भाषाओं में करते थे।
एक बार जब अंगरेज डाक्टर कलेन की लिखी “कलेन्स मेटेरिया मेडिका” मे वर्णित कुनैन नाम की जडी के बारे मे अंगरेजी भाषा का अनुवाद जर्मन भाषा में कर रहे थे तब डॉ॰ हैनिमेन का ध्यान डॉ॰ कलेन के उस वर्णन की ओर गया, जहां कुनैन के बारे में कहा गया कि ‘’ यद्यपि कुनैन मलेरिया रोग को आरोग्य करती है, लेकिन यह स्वस्थ शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा करती है।
कलेन की कही गयी यह बात डॉ॰ हैनिमेन के दिमाग में बैठ गयी। उन्होंनें तर्कपूर्वक विचार करके क्विनाइन जड़ी की थोड़ी थोड़ी मात्रा रोज खानीं शुरू कर दी। लगभग दो हफ्ते बाद इनके शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा हुये। जड़ी खाना बन्द कर देनें के बाद मलेरिया रोग अपनें आप आरोग्य हो गया। इस प्रयोग को डॉ॰ हैनिमेन ने कई बार दोहराया और हर बार उनके शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा हुये। क्विनीन जड़ी के इस प्रकार से किये गये प्रयोग का जिक्र डॉ॰ हैनिमेन नें अपनें एक चिकित्सक मित्र से की। इस मित्र चिकित्सक नें भी डॉ॰ हैनिमेन के बताये अनुसार जड़ी का सेवन किया और उसे भी मलेरिया बुखार जैसे लक्षण पैदा हो गये।
होम्योपैथी एक ऐसी चिकित्सा विज्ञान है। जिसमें अस्वस्थ व्यक्ति का इलाज ऐसी दवाओं द्वारा किया जाता है। जिनका औषधि प्रशिक्षण स्वस्थ व्यक्तियों पर किया जा चुका हो और स्वस्थ व्यक्ति के समस्त विकृत लक्षण को पहचान लेने के बाद ऐसी दवा दी जाती है जो कि स्वास्थ्य व्यक्तियों में उसी प्रकार के लक्षण पैदा करने में सक्षम हो। अतः यह चिकित्सा पद्धति निरापद एवं अकाट्य है।
इस प्रकार से किये गये परीक्षणों और अपने अनुभवों को हैनिमेन नें तत्कालीन मेडिकल पत्रिकाओं में ‘’ मेडिसिन आंफ एक्सपीरियन्सेस ’’ शीर्षक से लेख लिखकर प्रकाशित कराया। इसे होम्योपैथी के अवतरण का प्रारम्भिक स्वरूप कहा जा सकता है।
सौ. - विकिपिडिया
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